मध्यप्रदेश के पठार

  • मध्यप्रदेश के, पठारों, को सात भागों में, बाँटा, गया है।
    •  मध्य भारत का पठार 
    • बुंदेलखंड का पठार
    •  मालवा का पठार
    •  बघेलखंड का पठार  
    • रीवा पन्ना का पठार 
    • नर्मदा सोन का पठार 
    • सतपुड़ा मैकल श्रेणी और
    •  बघेलखंड का पठार 

    •  मालवा का पठार

    •  निर्माण  :-  ज्वालामुखी उद्गार से क्षेत्रफल 8222 वर्ग किलोमीटर प्रदेश का कुल 28. 62% 
    •  जिले मंदसौर रतलाम उज्जैन राजगढ़ सागर सीहोर शाजापुर, भोपाल ,देवास ,विदिशा, इंदौर रायसेन गुना
      जलवायु :-  सम जलवायु। वषाॆ100 से 125 सेंटीमीटर 
    • नदिया चंबल क्षिप्रा, पार्वती ,बेतवा ,माही 
    • इस पठार में काली मिट्टी पाई जाती है फसलें सोयाबीन गेहूं कपास मूंगफली गन्ना चना
    •  विशेष इंदौर को सूती राजधानी कहते हैं  पर्यटन  की दृष्टि से सांची रायसेन, उज्जैन भीमबेटका ,उदयगिरि की गुफा कहां थी यह प्रदेश के पश्चिम में स्थित है

     मध्य भारत का पठार

    क्षेत्रफल। 32 हजार 800 छीन ले। वर्ग किलोमीटर। जो प्रदेश का कुल क्षेत्रफल का 10 दशमलव और शत प्रतिशत है।
    जिले। भिंड। मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, मंदसौर, और, नीमच, का, कुछ क्षेत्र।
    जलवायु महाद्वीप जलवायु वर्षा 75सेंटी मीटर इस क्षेत्र में बहने वाली मुख्य नदी चंबल है और यहां जलोढ़ मिट्टी पाई जाती है यहां पर कटीले वन पाए जाते हैं खेर बबूल , फसलों में सरसों का पैदावार ज्यादा होता है खनिज में चीनी मिट्टी चुना पत्थर इमारती पत्थर आदि मिलते हैं यहां मुख्य रूप से सहरिया जनजाति पाई जाती है दर्शनीय स्थलों में ग्वालियर का किला गुजरी महल सास बहू मंदिर तेली का मंदिर हिंडोला आदि है इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा नदी नदी अपरदन होता है

     बुंदेलखंड का पठार

     यहां यह पठार ग्रेनाइट व निस चट्टानों से निर्मित है क्षेत्रफल 23733 वर्ग किलोमीटर प्रदेश 7. 70% जिले
     छतरपुर, दतिया ,टीकमगढ़ शिवपुरी निवाड़ी आदि वर्षा   75 से 100 सेंटीमीटर यहां महाद्वीपीय जलवायु पाई जाती है मिट्टी मिश्रित मिट्टी पाई जाती है नदियों में मुख्य रूप से बेतवा केन सिंहासन प्रभावित होती है यहां मुख्य रूप से मोटे अनाज की पैदावार होती है खजुराहो मंदिर इसी पठार पर स्थित है
     रीवा पन्ना का पठार

     क्षेत्रफल 21955 वर्ग किलोमीटर जो प्रदेश का कुल 10.37 है 
    जिला सतना रीवा पन्ना दमोह सागर आदि
     वर्षा 100 से 125 सैंटीमीटर जलवायु महाद्वीप की जलवायु नदी मुख्य रूप से केन टोंस आदि 
    फसलों में मुख्य रूप से गेहूं ज्वार व तिलहन फसलें यहां खनिजों में चुना पत्थर हीरा आदि मिलते हैं 

    नर्मदा सोन का पठार घाटी

     क्षेत्रफल 86000 वर्ग किलोमीटर जो प्रदेश का 27.8% है जिला हरदा होशंगाबाद जबलपुर नरसिंहपुर मानसूनी जलवायु पाई जाती है यहां 75- 125 सेंटीमीटर है इस पठार पर काली मिट्टी पाई जाती है इस घाटी में नर्मदा सोन तवा दूधी नदी प्रवाहित होती है यहां फसलों में मुख्य रूप से गेहूं कपास मूंगफली चना सोयाबीन आदि खनिजों में कला चूने का पत्थर आदि 

    सतपुड़ा मैकल श्रेणी


     क्षेत्रफल 34000 वर्ग किलोमीटर मध्य प्रदेश के दक्षिण में स्थित या प्रदेश का 11% है यहां मुख्य रूप से काली मिट्टी पाई जाती है जाती है जो सोयाबीन कपास गेहूं आदि के लिए उपयोगी है मुख्य यहां मुख्य रूप से ताप्ती, वैनगंगा, नर्मदा तवा वर्धा आदि नदी प्रभावित होती है इसके अंतर्गत आने वाले जिले बैतूल छिंदवाड़ा खरगोन खंडवा मंडला सिवनी आदि खनिज की दृष्टि से मैग्नीज कोवला बॉक्साइट लोहा तांबा आदि पाया जाता है प्रदेश का हिल स्टेशन पचमढ़ी यहीं पर स्थित है जिसकी चोटी 1350 मीटर है सर्वाधिक वर्षा इसी पठार पर होती है यहां औसत वर्षा 125 सेंटीमीटर से 150 सेंटीमीटर होती है तथा तथा अधिकतम 199 सेंटीमीटर पचमढ़ी में होती है इस पठार को तीन भागों में बांटा गया है राजपिपला सतपुड़ा श्रेणी में काल श्रेणी इस प्रकार के को महाराष्ट्र के 8 जिले छूते हैंं

     बघेलखंड का पठार 

    यहां पठार गोंडवाना सेल समूह से निर्मित है जिसका क्षेत्रफल 21577 वर्ग किलोमीटर है जो प्रदेश का 7% है यहां की जलवायु मानसूनी है तथा औसत वर्षा 125 सेंटीमीटर है ना मूर्खता लाल पीली मिट्टी पाई जाती है और फसलों में चावल अधिक पाया जाता है यहां खनिज में  बॉक्साइट चुना पत्थर आदि उत्पादित होते हैं मध्य प्रदेश की ऊर्जा राजधानी बैढ़न यहीं पर स्थित है इस पठार से कर्क रेखा गुजरती है यहां की मिट्टी लाल पीली होती है
         
    Civilstudy dp

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