नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल क्या है इसके वर्तमान अध्यक्ष लिस्ट in hindi- NGT
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल क्या है इसके वर्तमान अध्यक्ष लिस्ट in hindi- NGT|full form|एनजीटी|कार्य|उद्देश|
हेलो दोस्तों जैसे कि हम जानते हैं हमें अक्सर एनजीटी के बारे में सुनने को मिलता है और खासकर पर्यावरण जैसे मुद्दों पर उनके फैसले आते हैं या उनके आदेश निर्देश आदि जैसी बातें और हमें विभिन्न परीक्षाओं में भी इसके प्रश्न देखने को मिलते हैं जैसे कि इसकी स्थापना कब हुई इसका गठन कब हुआ उस के वर्तमान अध्यक्ष कौन हैं आदि जैसी प्रश्न आते हैं तो यह एक महत्वपूर्ण हो जाता है इन्हीं तत्वों को देखते हुए हमने इस पोस्ट में एनजीटी के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है इन्हें ध्यान से पढ़िए और समझिए!
क्या है एनजीटी: - इसे राष्ट्रीय हरित अधिकरण कहा जाता है यह पर्यावरण से संबंधित है और यहां पर्यावरण से संबंधित विभिन्न मामलों को शीघ्र समाधान करता है और तेजी से निपटारा करता है
- एनजीटी(NGT) का पूरा नाम: - राष्ट्रीय हरित अधिकरण नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल
- इसकी स्थापना राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम 2010 की धारा तीन के तहत 18 अक्टूबर 2010 को की गई जिसके चलते भारत विश्व का तीसरा देश बन गया जिसने इसे स्थापित किया है
- उद्देश - पर्यावरण से संबंधित वाद विवाद एवं मुद्दों को तेजी से निपटारा एवं समाधान करना!
- मुख्यालय - इसका मुख्य मुख्यालय दिल्ली में है तथा इसके 4 क्षेत्रीय कार्यालय भी है जोकि bhopal पुणे चेन्नई कोलकाता में स्थित है
- इसका स्वरूप सांविधिक एवं न्यायिक है
- संरचना - यह एक बहुत सदस्य संस्था है इसमें एक अध्यक्ष होता है और कम से कम 10 सदस्य होते हैं और अधिक से अधिक 20 सदस्य होते हैं और इनकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है जो कि 5 वर्षों के लिए होती है
- अध्यक्ष- स्थापना से लेकर अभी तक इसके 3 अध्यक्ष बन चुके हैं जो कि इस प्रकार है प्रथम अध्यक्ष श्री लोकेश्वर सिंह पाठा दूसरा अध्यक्ष स्वतंत्र कुमार और वर्तमान अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री आदर्श कुमार गोयल है
- पर्यावरण से संबंधित मुद्दों की जांच करना और इनसे संबंधित आदेश निर्देश देना
- उन सभी मामलों की सुनवाई करना जिनमें पर्यावरण एवं वन शामिल हो
- पर्यावरण से संबंधित मुद्दों या विवाद को शीघ्र समाधान करना
- पर्यावरण क्षति को क्षतिपूर्ति प्रदान करना
- इसके आगे से उन्हें देश को ना मानने वाले पर dand देना
- जुर्माना लगाना
- यदि कोई व्यक्ति या संस्था पर्यावरण से संबंधित नियम आदर्श को नहीं मानता है या पालन नहीं करता है तो इसे दंड के रूप में कारावास की सजा यह ₹10 करोड़ तक का जुर्माना लगा सकता है!
- इसके द्वारा दिए गए निर्णय के विरुद्ध न्यायालय में 90 दिनों के भीतर अपील की जा सकती है
- यह पर्यावरण को एक अनुकूल वातावरण प्रदान करता है
- यह वायु प्रदूषण को कम करने के लिए प्रोत्साहन करता है
- लोगों को विभिन्न प्रदर्शनी एवं कार्यक्रम के माध्यम से जागरूकता प्रदान करता है
वन संरक्षण अधिनियम 1980
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986
जैव विविधता अधिनियम 2002
जल अधिनियम 1974
जल उपकर अधिनियम 1977
वायु अधिनियम 1981
और सार्वजनिक देवता बीमा अधिनियम 1991
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राष्ट्रीय हरित अधिकरण को सिविल न्यायालय की शक्ति प्रदान है इसके पास एक और आपीलीय क्षेत्राधिकार भी है इनके के सदस्य पुनः नियुक्ति के पात्र नहीं होते हैं, इसका अध्यक्ष उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश उच्च न्यायालय का अन्य न्यायाधीश हो सकता है और अधिक एनजीटी के बारे में जानने के लिए आप इसकी ऑफिशल वेबसाइट पर जाकर देख सकते हैं वहां आपको संपूर्ण जानकारी उपलब्ध होंगी
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